आज सुदर्शन टी वी के
सौजन्य से एक अत्यंत ही दुखद और शर्मनाक जानकारी मिली की हमारे महान स्वत्रंता सेनानी
और भारती युवाओं का आदर्श, अमर शहीद भगत सिंह, राजागुरु, सुखदेव, चन्द्रशेखर आजाद
को भारत सरकार ने स्वत्रंता सेनानी और शहीद मानने से इंकार कर दिया है। यह जानकारी
सुचना के अधिकार के तहत मांगी गयी जानकारी पर भारत सरकार के द्वारा दी गयी है। इस
जानकरी से न सिर्फ भारत के करोड़ों लोगों के मान्यताओं को ठेस पहुँचा है, ब्लकि
भारत सरकार ने अपने को विवेकहीन, विचारशुन्य और अंग्रेजो की कठपुतली (रिमोट से चलने वाला) होने
का प्रमाण भी दिया है।
क्या भारत
सरकार या कहें सोनिया गान्धी की सरकार, भारत के इन महान बलिदानियों और युवाओं के
आदर्श इन महान शहीदों, जिसके हुंकार और सर्वस्व बलिदान के कारण ही आज वे सत्तासुख
भोग रहें है, के स्थान पर राजीव गान्धी और राहुल गान्धी जैसे सामान्य व्यक्ति, सत्ता सुख के लिए अपने को समर्पित करने बाले, और देश का अथाह पैसा लूट कर विदेशों
में जमा करने वाले कों आज के युवाओं का आदर्श बनाना चाहती है?
यह कितने आश्चर्य
की बात है जिस भगत सिंह को पाकिस्तान महान स्वत्रंता सेनानी और सबसे बड़ा शहीद
मानती है उसे हमारी कान्ग्रेसी सरकार एक आतंकवादी मानती है। थू है ऐसी सरकार पर्।
जो अपने देश के बलिदानियों को, स्वत्रंता संग्राम के अग्रगण्य सेनानितों को सम्मान
भी नही दे सकती है।
एक षडयंत्र के
तहत धीरे धीरे भारतीय युवायों और बच्चों को हमारे गौरवशाली ईतिहास के नायकों,
स्वत्रंता सग्राम के महानायकों और राष्ट्रनायको के कारनामों और अदम्य साहस के साथ विपरीत परिस्थितियों मे भी देश
और संस्कृति पर मर मिटने की कहानियों से दूर ले जाया जा रहा है, और पूरे जोर शोर से यह भ्रम फैलाने की कोशिश की जा
रही है कि भारतीय स्वत्रंता संग्राम मे सिर्फ और सिर्फ जवाहर लाल नेहरु और महात्मा
गांन्धी का ही हाथ था।
दे दी हमें आजादी बिना खड़ग़ बिना ढाल सावरमति के संत तुने कर दिया कमाल
आजादी के बाद सरकार द्वारा इन महान बलिदानियों को तुरंत मरणोपरांत भारत रत्न
देना चाहिये था। इससे कम से कम हम इनके अमुल्य बलिदान को सम्मान
दे सकते थे, पर इसके विपरीत इन्हें स्वत्रंता
सेनानी के रुप मे मान्यता तक नही दी गई। क्या इसके पीछे अंग्रेजों के साथहुई कोई डील या समझौता है जिसे ये कान्ग्रेसी सरकार सामने नहीं ला रही है। 1947 कोसत्ता हस्तांतरण के वक्त का दस्तावेज आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया है।
इस संधि की शर्तों
के अनुसार भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, अशफाकुल्लाह, रामप्रसाद विस्मिल जैसे लोग आतंकवादी थे और यही
हमारे syllabus में पढाया जाता था
बहुत दिनों तक तथा अभी कुछ समय पहले तक ICSE बोर्ड के
किताबों में भगत सिंह को आतंकवादी ही बताया जा रहा था, वो तो भला हो कुछ लोगों का जिन्होंने नयायालय में
एक केस किया और अदालत ने इसे हटाने का आदेश दिया है (ये समाचार मैंने इन्टरनेट पर
ही अभी कुछ दिन पहले देखा था) |
आज भारतीय स्वत्रंता सग्राम के वैसे सैकड़ों महानायको के वारे कितने
लोग जानते है। सुभाश चन्द्र बोस, जैसे महानायक की कहानी कितने लोग जानते है। आज अधिकास
लोग स्वत्रंता सेनानी के रुप में सिर्फ
उनका नाम जानते है, उनकी
जीवनी, उनका अमुल्य बलिदान, अद्भुत रण कौशल, ओजस्वी वाणी, आश्चर्य कर देने वाली
संगठन क्षमता के बारे मे शायद ही किसी कक्षा
में पढायी जाती है। यह भी अंग्रेजो के साथ हुई डील का हिस्सा था की सुभास चन्द्र
बोस जब भी मिलेगें जिन्दा या मुर्दा, अंग्रेजो को सौंपना होगा और यह डील हमारे तथा
कथित महान नेता जवाहरलाल नेहरु और गान्धी जी ने अंग्रेजो के साथ किया था।
अंग्रेजो के साथ हुई डील (सत्ता हस्तांतरण) के मुख्य और
विध्वशकारी बाते जानने के लिए इसे क्लिक करें। http://deshdharm.blogspot.in/2011/09/transfer-of-power-agreement-india.html
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