Thursday, July 5, 2012

बाबा रामदेव और काला धन का आन्दोलन


परम श्रद्धेय बाबा रामदेव जी देश मे एक अनोखा आन्दोलन चला रखें हैं। वैसे तो यह आन्दोलन देश के त्तथाकथित वैसे पार्टियों को चलाना चाहिये था जो अपने आपको समाज के सबसे निचले पायदान पर रहने वाले लोगों की पार्टी कहते हैं यथा कम्युनिस्ट पार्टियाँ या विपक्षी पार्टी। पर जब सत्ता के सबसे उपरी  पायदान पर भ्रष्टाचार अपने चरम पर पहुँच गया हो, करोड़ की राशि भी करोड़ को छू रही हो, महँगाई नित नयी उँचाइयों को छू रही हो फिर भी समाज के राजनितिक दलों में किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्थिति पैदा हो गयी है,। एक ओर देश की आम जनता, गरीब जनता महँगाई से त्रस्त होकर त्राहि त्राहि कर रही है वहीं दसरी ओर देश के कुछ मुट्ठी भर लोगों का कई लाख करोड़ विदेशी बैकों में काला धन के रुप मे पड़ा है। यही नहीं देश के अन्दर भी हजारो करोड़ रुपया भ्रष्टाचार और कदाचार मे लिप्त हजारों सरकारी बाबुओं और नेताओं की तिजोरियों की शोभा बढा रहें है। यदि इन काले धन का कुछ प्रतिशत भी बाहर आ जाये तो महँगाई को कुछ हद तक काबु में रखा जा सकता है। इस किंकर्तव्यविमूढ़ता की स्तिथि मे एक सन्यासी बाबा रामदेव और एक मुर्धन्य समाजसेवी अन्ना हजारे अपने अपने कुटिया से निकल कर देशव्यापी आन्दोलन करने की धृष्टता किये हैं। दोनो किसी भी व्यक्तिगत स्वार्थ से विरक्त सिर्फ देश की जनता के कष्ट से द्ग्ध होकर, सरकार के भ्रष्टाचार के विरुद्ध, आन्दोलन के लिए आम जनता से आग्रह किये हैं। हमारे देश में जब जब राजा भोग विलास और भ्रष्टाचार मे लिप्त हुआ है, साधु सन्यासी आगे आकर राजा को सत्ताच्युत करने का काम किये है।

मात्र हजार रुपये घुस लेते हुए पकड़ाने पर निगरानी या CBI उसके पुरे इतिहास को खंगाल डालती है पर लाखों करोड़ के घपला करने वाले मंत्रीगण का कुछ नही बिगड़ता।शायद ही किसी राजनितिज्ञ को भ्रष्टाचार और कदाचार मे सजा मिली हो। दस बीस साल केस चलता रहता है और हमारे ये नेतागण राज भोगते रहते है।  
बाबा रामदेव जहाँ कालाधन के विरुद्ध बिगुल फुकें है, अन्ना हजारे  देश के सभी विभागों के जड़ मे समा चुके भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए लोकपाल विधेयक पास कराने के लिए आन्दोलन और सत्याग्रह कर रहे है।
बाबा रामदेव कहते है कि 500 और 1000 रुपये के नोट को अविलम्ब प्रचलन से रोक देना चाहिए। मुझे भी यह माँग भुत ही बेतुका लगा, पर थोडी गंभीरता से इस पर मनन किया तो इसके इतने सारे फायदे नजर मे आये कि मुझे रामदेव बाबा का यह  माँग सबसे प्रमुख और देश के वर्तमान आर्थिक स्वास्थय के लिए एक सबसे कारगर उपाय हो सकता है।
मेरे विचार मे 500 और 1000 रुपये  के नोट को प्रचलन से बाहर न करके , वर्तमान में प्रचलित नोट का रुपान्तरण करना सबसे अच्छा रहेगा। एक गोपनीय तैयारी के साथ पुरी मात्रा में नये रुप में एवं नये सिरीज का 500 और 1000 रुपये के नोट को छपवा लें। अब सभी भारतीय नागरिकों को नोटिस दिया जाय कि वे एक सप्ताह से एक महिना के अंदर अपने अपने 1000 और 500 रुपये के पूराने नोट को बदल लें, पूराने नोट के बदले नये डिजाईन के नोट मिलेंगें, एक पैन नम्बर के व्यक्ति को मात्र 50,000रुपये तक के नोट के बदले नये नोट मिलेंगे  और शेष नोट को बैंक के खाते मे जमा करना होगा।  यह नोट बदलने की क्रिया एक से दो महीने तक चलेगें। आजक्ल सभी बैंक सी बी एस यानी पुरी तरह कमप्युटरिकृत हो चुकें है। अत: नोट बदलने के लिए एक पैन नम्बर से एक बार ही नोट बदला जाये इसका पुरा व्यवस्था करना होगा।
यह एक थोडी कठिन प्रक्रिया अवश्य है, पर इससे इतने सारे फायदे होगें की जिस आर्थिक परेशानी से हमारा देश अभी गुजर रहा है इसका सबसे कारगर उपाय भी है।  इसके होने वाले फायदे निम्न हो सकते हैं।
  
1)    यह सर्वविदित है कि हमारे देश में हजारो करोड़ रुपये का जाली करेसीं नोट प्रचलन मे चल रहा है। और इसके सबसे अधिक पीड़ित गरीब तबके के लोग ही होते है जो इसे अच्छी तरह नहीं पहचान पाते। दरअसल  भारत सरकार को भी पता नहीं है कि देश में कितना जाली नोट प्रचलन मे हैं। समाज में उपलब्ध जाली नोटों में 95% नोट 500रुपये  और 1000रुपये के ही हैं। इस प्रक्रिया से एक तरफ तो सभी जाली नोट पकड में आ जायेगें। विदेशों से आने वाले जाली नोट कुछ दिनों के लिए रुक जायेगा, जब तक की taskarतस्कर नये नोट का प्रारुप न तैयार कर लें। सबसे बडी बात यह है कि अधिकांश जाली नोट प्रचलन मे हैं न कि लौकरों मे बन्द,। एक साथ इतने ज्यादा नोट पकड मे आने से ही मुद्रास्फिति पर जबर्दस्त प्रभाव पडेगा।

2)    अभी हाल में सरकारी आफिसरों पर पडे छापों मे जिस अनुपात मे करोड़ो के करेन्सी नोट, बैंक के लाकरों और घरों में पकड़ मे आये है इससे यह अनुमान लगाय जा सकता है कि हमारे देश मे करीब एक लाख करोड़ से उपर काला धन सोना/रियल स्टेट के अलाबे 500रुपये और 1000रुपये के नोट के शक्ल मे तिजोरियों और बैंकों के लाकरों मे बन्द पडे है। सभी एक झटके मे बाहर आ जायेगें। चुकिं यह काला धन है, (जिसका लोग अपने इन्कम टैक्स रिटर्न मे नही दिखाया गया है) सरकार इसको सरकारी धन घोषित कर सकती या 30% तो 50% आयकर के रुप मे काट सकती है। इससे सरकार के पास एक बार मे ही 50000 करोड़ से भी ज्यादा का धन आ जायेगा और सरकारी उपक्रमों के डिसइन्वेस्ट्मेंट की आवश्यकता नही होगी।

3)          जब 50,000 रुपये से उपर का प्रत्येक लेन देन चाहे बैंक से पैसा निकालना हो या जमा करना हो, जमीन/ फ्लैट/मकान की खरीद हो, सोने मे निवेश हो, बडी गाडी की खरीद हो सभी के लिए पैन कार्ड नम्बर आवश्यक हो गया है। परन्तु यह सभी ट्रांसजेक्सन अलग अलग होते हैं, इनका कहीं कोई सामुहिक रिकार्ड नहीं होता है। एक व्यक्ति अपने पैन नम्बर के तहत किसी वर्ष विशेष मे कितना निवेश रियल स्टेट मे किया, सोने में किया, बडी बडी गाड़ियों में किया, यह पता लगाना  असंभव नहीं तो कठिन अवश्य है। यदि एक पैन कार्ड के तहत होने वाले सभी ट्रांसजेक्सन यदि एक सुपर कमप्युटर से जोड़ दिया जाये तो यह पता लगाना आसान हो जायेगा कि उस विशेष पैन कार्ड नम्बर के तहत कितना रुपया का कैश ट्रांसजेक्सन, कितना निवेश रियल स्टेट और कितना सोना मे निवेश हुआ है। अभी एक पैन नम्बर के तहत, म्युचुअल फंड मे किया जाने वाला sसारा निवेश जाना जा सकता है। ठीक इसी तरह यदि किसी भी पैन नम्बर के तहत होने वाले सभी ट्रांसजेक्सन अनिवार्य रुप से एक सुपर कमप्युटर से जोड़ दिये जायें और उस पैन नम्बर के तहत भरे जाने वाले आयकर रीटर्न के साथ उसकी समीक्षा की जाये, तो बिना कोई लोकपाल, सीभीसी, सीबीआई, के भ्रष्टाचार से काफी हद तक मुकाबला किया जा सकता है।       

2 comments:

  1. very good write-up. it may help greatly in deleting corruption from society.

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